सत्ता के मद में चूर विकास ने
पर्यावरण को
हिकारत से देखा
और दरबार से बाहर कर दिया
सफेद चादरें भी लज्जित हैं आज
न जाने उन्होंने कितने कुकर्मों को ढ़क दिया
लज्जित हैं दीवारों के ताजा रंग
जिन्होंने कितनी बदबूओं को रातों रात दबा दिया
Mikhail Gorbachev is no more. In his funeral he was denied the full state honour. Frankly speaking, this should not surprise one, notwithstanding the tributes paid to him by the Western leaders.
गोर्बाचोव अब नहीं रहे. उनका अंतिम संस्कार तो हुआ, पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ नहीं. और सच देखा जाये तो य़ह आश्चर्य की बात होनी भी नहीं चाहिये. कैसे कोई देश उस व्यक्ति को राजकीय सम्मान दे, जो उसके टूटने का सबब बना. यह सच्चाई गोर्बाचोव की सारी अच्छाईयों पर हावी रहेगी.
घडियाल के आंसुओं ने, भेड़ियों तक
यह ख़बर पहुंचा दी
कि अब तुम्हे मिल गयी मेमनों के
शिकार की आजादी
ये छापे ये ट्रोलिंग ये कोर्ट की इनायत, ये जेल की हवा
कहा शासकों ने कि हर इक विरोध की यही है सजा
ये छापे ये ट्रोलिंग .....
सांड को क्या मालूम
चर गया खेत को कोई चोर
वो आवारा खेत में घूमे
किसान मचाये शोर
ओS ओS ओS .. सांड को क्या मालूम…
Tamil Parliamentarian Kanimozhi has recently been in news a couple of times. Both occasions had a common link – an unwarranted aggressiveness of proponents of Hindi. Both the events highlight the need for restraint and call for introspection.
खा गया गल्ला खाने दो
रूपये भी खाये, खाने दो
ले गया राशन, ले जाने दो
वोटों का डर है कड़ी टक्कर है
मैं सिमला बना दूंगा
मगर इन चुनावों के बाद
मैं गर्मी मिटा दूंगा
मगर इन चुनावों के बाद
राजा ने घोषित कर दिया - अमृत काल
रानी की ‘अर्थ’पूर्ण मुस्कान बोली - अमृत काल
हमें इतिहास लिखने से कौन रोक सकता है?
गरजा कोतवाल - अमृत काल
भीड मे मास्क नज़र आए थी हसरत उसकी
कब से जारी है नसीहत भी चुनाव आयोग की
किसने जाना है बदलते हुए वोटर का मिज़ाज़
उसको धमकाओ तो देखोगे भी फ़ितरत उसकी
वोटों से छूलो तुम
मेरी जीत अमर कर दो
झांसे में आके मेरे
मेरी सीट अमर कर दो
क्या हम फिर एक बार जीत के मुंह से हार का निवाला छीन लाने में महारत हासिल कर रहे हैं?
खेल में हार जीत तो लगी रहती है पर मिड़िया के चक्कर में अब हम काबिलियत, धीरज और संयम की जगह, दिखावट, उतावलापन, अनावश्यक आक्रामकता और बड़बोलेपन को ज्यादा भाव दे रहे हैं.
जब हम लड़ें तो आयोग भी अपना न साथ दे
जब तुम लड़ो तो ईडी लड़े, सी बी आय लड़े
जब हम रुकें तो साथ जुटे बेबसों की भीड़
जब तुम रुको तो पूरी ही सरकार जुट पड़े