(इंदीवरजी से (एक बार फिर) क्षमायाचना सहित)
वोटों से छूलो तुम
मेरी जीत अमर कर दो
झांसे में आके मेरे
मेरी सीट अमर कर दो
मैदान का सूनापन
एक घाव करे मन में
कुर्सीयां क्यूं खाली रहें
मेरे किसी भाषण में
भाड़े की भीड़ से तुम
हर खाली जगह भर दो
ना खरचे की सीमा हो
ना मास्क का हो बंधन
जब रैली सें लोग ना हों
आयोग को कोसे मन
तुम भूलो आचार संहिता
नयी रीत अमर कर दो
सरकारी खर्चे पर
मेरी भीड़ अमर कर दो
जग क्या छीने मुझसे
सत्ता का गलियारा
मैं जीता किया हरदम
प्रतिपक्ष सदा हारा
तुम बदल के दल अपना
बहुमत ये अमर कर दो
पाले में आ के मेरे
मेरी जीत अमर कर दो
वोटों से छूलो तुम
मेरी जीत अमर कर दो