सत्ता के मद में चूर विकास ने
पर्यावरण को
हिकारत से देखा
और दरबार से बाहर कर दिया
अपमानित पर्यावरण बाहर आकर
मुस्कुराया..................
और मुस्कुराकर शहर को
छह ईंच छोटा कर दिया
चाटुकारों ने दोष सत्ता पर नहीं
पर्यावरण पर ही मढ़ दिया
बस, विकास ऐंठकर दो कदम
और आगे बढ़ गया
विनाश की ओर!
छवि सौजन्य: पिक्साबे