Cover of 'Hans' , March 2022
कोई 400 पन्नों का यह व्यंग्य, इंडिया से सटे भारत के एक बुंदेलखंड़ी गांव, ‘कोटरा’ का दस्तावेज है. शुरुआत से ही यह आपको हंसाता भी है और झकझोरता भी है. पर जैसे जैसे कथानक आगे बढ़ता है, यह हंसाता कम और झकझोरता ज्यादा है, और कथानक का अंत बस झकझोरकर रख देता है इस डरावने एहसास के साथ कि ऐसा कोटरा हमारे चारों तरफ़ मंडरा रहा है. या कहें तो हमें घेर भी चुका है और दबंगई के साथ इंडिया के दरवाजे पर भी दस्तक दे रहा है और घर में घुसकर मारने की चेतावनी भी.