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आपके सेलफोन में कोई रहता है
त रा रा रा रा .. हम नहीं कहते ऍपल खुद कहता है
आपके सेलफोन में कोई रहता है
वह सत्ता पर काबिज नहीं है
फिर भी वह रावण है
नहीं दिया सोने के हिरण का झांसा जनता को
फिर भी वह रावण है
दिखी नोएड़ा के जंगलों में, दो नयी प्रजातियां
एक गोदी लोमड़ी, एक गोदी भेड़िया
पर्यावरण को समतल से देशनिकाला देकर
सत्ता का मन जब नहीं भरा
अहंकारी विकास, अपनी रौ में
पहाड़ों की ओर चल पड़ा
कानून का राज है – उन्होंने जुमला सुनाया
ग्राउंड़ रिऍलिटी ने, ठहाका लगाया
दोषी बख़्शा नहीं जायेगा, उन्होंने गरज कर बताया
ऐसे सैकड़ों हैं केस, प्यादे ने ठहाका लगाया
घड़ियाल ने आखिरकार दो आंसु बहा दिये
कम्बख्त मछलियों तुम्हे और क्या चाहिये ?
टपोरी डायलाग देखकर, दिये वाल्मिकी रोय
छद्म राष्ट्रवाद के आगे, साबुत बचा न कोय
साबुत बचा न कोय, नहीं भगवान को छोड़ा
हनुमान की जिव्हा तक को तोड़ा और मरोड़ा
सत्ता पर काबिज हो चुका बकासुर
पर इसमें उस बेचारे का क्या ही कसुर
दोषी हैं एकचक्रा नगर के अधिवासी
जिन्होंने अध्यक्ष उसे बनाया हजुर
मेरी सांसों की जांच के लिये
वे पिता-तुल्य हाथ, बार-बार
मेरे स्तनों को छूते
मेरे पेट को स्पर्श करते,
और मेरी जांघें टटोलते रहे
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
देखते ही देखते ये क्या हुआ …..
मुझ को भ्रष्टाचार का कोई ग़म नहीं
ग़म है भ्रष्टाचार का क्यूँ चर्चा हुआ
राक्षस को हराना, मुश्किल नहीं
बेमानी है उसपर सीधा वार
जाना पड़ता है सात समंदर पार
सत्ता के मद में चूर विकास ने
पर्यावरण को
हिकारत से देखा
और दरबार से बाहर कर दिया
सफेद चादरें भी लज्जित हैं आज
न जाने उन्होंने कितने कुकर्मों को ढ़क दिया
लज्जित हैं दीवारों के ताजा रंग
जिन्होंने कितनी बदबूओं को रातों रात दबा दिया