(राजेन्द्र कृष्ण जी से क्षमायाचना सहित)
कल चमन था आज इक सहरा हुआ
देखते ही देखते ये क्या हुआ …..
मुझ को भ्रष्टाचार का कोई ग़म नहीं
ग़म है भ्रष्टाचार का क्यूँ चर्चा हुआ
मैं चला था आग लगाने उनके घर
अब है खुद नशेमन मिरा जलता हुआ
जीतते थे हम दिखाकर सबको ड़र
बिना ड़रे जनता ने फैसला कर दिया
सोचता हूँ ये नतीजे देख कर
किसके सर पर फोडूं इनका ठीकरा
कल चमन था....
छवि सौजन्य: पिक्साबे