वह सत्ता पर काबिज नहीं है
फिर भी वह रावण है
नहीं दिया सोने के हिरण का झांसा जनता को
फिर भी वह रावण है
किया नहीं साधु के भेस में सत्ता का अपहरण
फिर भी वह रावण है !
और वह
जो शिवजी के धनुष को उठाने की डींग हांकता
उसे हिला तक नहीं पाया
संध्या करते बाली ने जिसे अपनी
कांख मे दबाकर रखा था ?
छल से हथियाये पुष्पक में दुनिया घूमते
उस रथी रावण के चाटुकारों ने
आज एक विरथ यायावर को,
नया रावण करार दे दिया !
छवि सौजन्य: पिक्साबे