बादशाह को यह तोता बहुत प्यारा था. जाहिर है हर दरबारी का भी वह प्यारा हो गया. फिर फ़रमान भी तो था – जो कोई व्यक्ति राघू के मरने की खबर सुनाएगा, उस का सर कलम कर दिया जाएगा.
पर तोता पालना भी तो एक कला होती है- हर किसी के बस की बात नहीं होती. पर बादशाह तो बादशाह ठहरे. तोते के देखभाल की जिम्मेदारी किसी को, फैसले किसी और के हाथों, खुराक कोई और संभाले, तालीम का काम किसी और का. हर किसीने तोते पर अपने अपने प्रयोग किए. बादशाह राज के अन्य कामो में मशगूल रहे.
तोते की हालत धीरे धीरे बिगड़ने लगी. पहले फुर्ती गयी, फिर सुस्ती आयी, फिर बदहजमी फिर खट्टी डकार. पर मानने को कोई तैयार नहीं कि तोते की हालत बिगड़ रही है. सबसे प्रयोग जारी रहे. तोता भी कितना झेलता? एक दिन आई सी यू कि राह होता हुआ परलोक सिधार गया.
अब सबके होश गायब. बादशाह सलामत को खबर सुनाएं तो कैसे? फांसी किसे चाहिए थी?
हमेशा की तरह बीरबल पर यह काम सौंपा गया. सबकी निगाहें उसपर. देखें बादशाह सलामत को कैसे खबर बताता है.
अचानक आये बीरबल को देखकर बादशाह चौंके. “कहो बीरबल कैसे आना हुआ”.
“नहीं जहांपनाह, ऐसे ही इधर से गुजर रहा था सोचा राज्य का हालचाल बताता चलूँ. “
“क्या हुआ? सब ठीक तो है ना?”
“जी जहांपनाह, आपके होते गलत कुछ कैसे हो सकता है? हर जगह हालात पूरी तरह सामान्य हैं. हां पर आज आते आते राघू को देखा. थोडी मजे मजे की हरकतें कर रहा था.”
“मजे मजे की? वह तो वैसे भी है नटखट और शरारती. थोडा चुलबुली भी है. पर आज कोई नया गुल तो नहीं खिलाया उसने? “
नहीं जहांपनाह, आज वह कुछ अलग मूड में दिखा. “
“वह कैसे? “
“आज वह पीठ के बल लेटा हुआ था, शांत सा.”
“अरे, यह जरा अजीब है! “
“और जहांपनाह, पैर भी उपर की ओर किए हुए”
“अरे, कुछ बोल भी रहा था या नहीं? “
“नहीं जहांपनाह, शायद मूड नहीं होगा”
“तुम्हें देखकर भी? “
“देखा कहाँ मेरी तरफ? वह तो टकटकी लगाए उपर देख रहा था- अपलक”
“आंखें झपकायी या नहीं? “
“झपकती दिखीं नहीं जहांपनाह”
“अरे बीरबल, फिर तो राघू मर गया है!! “
“नहीं नहीं जहांपनाह – मैं ऐसा बिल्कुल नहीं कहूंगा. आप तो मुझे सीधे फांसी पर….. “
अर्थव्यवस्था के राघू ने मजे मजे की हरकतें शुरू तो नहीं कर दी हैं??
छवि सौजन्य: पिक्साबे