Satish Balram Agnihotri blog - In a Land of Dirt Roads

(सावन कुमार जी से क्षमायाचना सहित)

शायद चुनाव में हार का ख्याल अब सताया है
इसीलिए पापा ने मेरे, तुम्हें चाय पे बुलाया है

अच्छा S S S…….
कमजोर समझ कर, आयोग को ये, जाल बिछाया है
इसीलिए पापा ने तेरे, मुझे चाय पे बुलाया है
क्यों है ना ? (कड़े तेवर के साथ)
नहीं नहीं सर.....(सफाई की मुद्रा में) आप गलत समझ रहे हैं..

ठीक आप चार बजे दफ्तर चले आना
बैठक में भाग लेना ज़रा ना शरमाना
हम और पापा के दफ्तर ? सपने देख रहे हो?
खिली हुई धूप में, तारे देख रहे हो?
अरे नहीं नहीं सर आप, खुद नहीं आना
गुपचुप आनलाईन पर बात कर लेना
इन्हीं अदाओं पर तेरी हाय, अपना दिल आया है
इसीलिए पापा ने मेरे, तुम्हें चाय पे बुलाया है

दिल्लगी न करो, हमको करो न समन
चुनाव हमको जिताओ, तुमको मेरी क़सम
साहब बहादुर माना के हम, तुमपे मरते हैं
निष्पक्ष विष्पक्ष ठीक है, पर तोतों से डरते हैं
चुनावों से पहले रोब अच्छा लगता है
सारी उम्र अपने पीछे फिर गच्चा लगता है
इसी समझदारी पर तो हाय, अपना दिल आया है
इसीलिए पापा ने मेरे...

सर आपको मेरे समन, आओगे ना
नहीं, बिलकुल नहीं सबके सामने बिलकुल नहीं आउंगा
पर गुपचुप आनलाईन पर मान जाऊँगा
शाबाश, फिर तो चुनाव में जीत का ख्याल पास आया है
इसीलिए पापा ने मेरे, तुम्हें चाय पे बुलाया है

छवि सौजन्य: पिक्साबे

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