Satish Balram Agnihotri blog - In a Land of Dirt Roads

कहां तो तय था पंद्रह लाख हरेक घर के लिये
कहां दवा भी मयस्सर नहीं शहर के लिये
          यहां अस्पतालो के साये में मौत बैठी है
          चलो यहाँ से कहीं दूसरे शहर के लिये
रहें तो अपने घरों में कैद आक्सीजन के बगैर
मरें तो सेठ के अस्पताल में आक्सीजन को लिये
          दवा न सही बस दवा का ख्वाब सही
         कोई हसीन सा जुमला हो मुर्दाघर के लिये
न हो श्मशान तो बाहर ही फूंक देंगे शव
ये लोग कितने मुनासिब हैं इस लहर के लिये
         वो मुतमईन हैं के सत्ता नहीं बदल सकती
        मैं बेकरार हूं आक्रोश में असर के लिए

छवि सौजन्य: पिक्साबे

No comments on ' साये में मौत'

Leave your comment

In reply to Some User
 

You may also be interested in