फिर एक बार जीत गया है बकासुर
एकचक्रा में आज शांति है
स्मशान शांति
हरिणियों के आंसुओं पर
पसरा हुआ है
सन्नाटा सा
पुरस्कारों के तवे पर
प्रचार की रोटी सेंकनेवालों का
आज है मौन व्रत
क्यों न हो
किस सत्ताधीश को नहीं प्यारा
हरिणी का शरीर
बकासुर को मालूम है
व्यवस्था की यह तासीर
बेबस हरिणियों ने अब
कर दिया है
लोक का अंतिम संस्कार
और तंत्र के आगे
आत्म समर्पण
छवि सौजन्य: पिक्साबे