Satish Balram Agnihotri blog - In a Land of Dirt Roads

पंच परमेश्वर कहानी में खाला ने अलगु चौधरी से पूछा था “बेटा, बिगाड़ के डर से क्या ईमान की बात नहीं कहोगे?” उसे क्या पता था कि अलगु चौधरी, जुम्मन के दोस्तों की ही एक कमेटी बना देंगे जो यह तय करेगी के खाला की फसल को धन्नासेठों के हाथ बेचने का अधिकार जुम्मन का ही है ना!

पंचायत ने खाला को यह भी निर्देश जारी किया कि वह गांव की दहलीज पर से हट जाये और अपना धरना खत्म कर ले. गांव की बेवजह बदनामी न करे. करोना काल में उसे कुछ हो हवा गया तो सबकी जिम्मेदारी बनेगी.

पंचों का फैसला, पंचों का फैसला होता है. जुम्मन के कारिंदों ने खाला को हटाने की तैयारी कर ली है. उससे भी पहले जनमानस को अपने पक्ष में करने के लिये वाट्स ऍप यूनिवर्सिटी के जरिये खाला को भ्रमित, जलेबी की लालची और पडोसी गांव के द्वारा उकसायी हुई प्रमाणित कर दिया गया है.

अलगु चौधरी और जुम्मन शेख़ कि दोस्ती खाला की आह की नींव पर और गाढ़ी हो गयी है.

(मुंशी प्रेमचंद से क्षमायाचना सहित)

छवि सौजन्य: पिक्साबे

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