मै और मेरे तोतै, अक्सर ये बातें करते हैं ….
अगर करोना न होता तो ऐसा होता, जुमला चल जाता तो वैसा होता
अगर गोली न चलती तो ऐसा होता, दंगे हो जाते तो वैसा होता ….
नतीजे फिर ऐसे नहीं, वैसे होते
विरोधी हमारी जीत पे हैरां होते, हम उनकी हालत पे कितना हँसते
मैं और मेरे तोते, अक्सर ये बातें करते थे
अबकी बार दो सौ पार ……..,मगर,
ये कहाँSS आ गये हम, यूँ ही साथ साथ चलते
ये सारे ही नतीजे, चले हाSSथ से फिसलते
मजबूर ये दलबदलू, इधर भी हैं उधर भी
तरसते टिकट को, इधर भी हैं उधर भी
कहने को बहुत कुछ है, मगर किससे कहें हम
जनता कहे अब बस करो, इन जुमलों में नहीं दम
ये कहाँSS आ गये हम…
……..
ये वोट है, या हमारी खटिया खडी हुई
हैं रूझान तुम्हारी नज़रों में, या जीत उनकी हुई
क्या कहा तुमने हमारी कहीं जमानत भी चली गई
सारे बलों के बावजूद हार हमारी हुई?
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ये स्टूडियो है, या तुम्हारा काऊंटिग सेंटर
ये एंकर हैं या विरोधियों के समर्थक
चुनाव का नतीजा है, या तुम्हारी पनोती का सिलसिला
ये आने वाले दिनों की है आहट, जनता ने है कहा
ये सोचता हूँ मैं कबसे गुमसुम
कि जबकी मुझको भी ये खबर है
कि इस बार जीत उधर है .. उधर है.. उधर है
मगर ये दिल है कि कह रहा है
शायद कहीं इधर है .. इधर है.. इधर है
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मन करता है इनका हर इक विधायक उठा लें
जरूरी हो तो यहां तीन सौ छप्पन लगा दें
क्यों इंतजार करते रहें, लोगों को बता दें
हां हमारे पास बहुमत है, बहुमत है, बहुमत है
पर अफसोस, ये ख्याली पुलाव इस बार नहीं हैं पकते
ये सारे ही नतीजे, मेरे हाSSथ से फिसलते।
छवि सौजन्य: पिक्साबे