Satish Balram Agnihotri blog - In a Land of Dirt Roads

(आनंद बक्शी जी से क्षमायाचना सहित)

गिर गयी मूर्ति ... गिरने दो
पुल धंस गया ... धंसने दो
हुआ रेल हादसा ... होने दो

काहे का डर है बहुमत इधर है
साथ हैं एजेंसियाँ
वाह वाह वाह.....
गिर गयी मूर्ति ...

आहिस्ता आहिस्ता ... सेठों नें कर दी तबाही
क्या करें माने ना .....सेवक अब करते उगाही
ऐसी उगाही पहले नहीं थी .. ये इनको क्या हो गया
गया .....
धंस गया रास्ता ... धंसने दो
टपकी नयी छत .... टपकने दो
काहे का डर है बहुमत इधर है
साथ हैं एजेंसियाँ
वाह वाह वाह.....

सरकारी ठेकों से, पैसे बनाने दो मुझको
हो सड़क या सुरंग, मोटा मुनाफा हो मुझको
कहना सवाल करने वाले सभी को,
हमने सब सेट कर लिया ....... लिया
गिर गया बिल बोर्ड़ ...... गिरने दो
सुरंग डूबी .... डूबने दो
काहे का डर है बहुमत इधर है
साथ हैं एजेंसियाँ
वाह वाह वाह.....
गिर गयी मूर्ति ..

छवि सौजन्य: PTI

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