छह ग्राम ड्रग की कुश्ती को, देख कबीरा रोय
तीन टनों के खेप की, बात न पूछे कोय
बात न पूछे कोय, मामला पड़ गया ठंढा
राहत मोटे सेठ को, चला बंबई पर डंड़ा
चला बंबई पर डंड़ा, बच गया अपना बंदरगाह
बालीवुड की देखना खैर नहीं है आज
खैर नहीं है आज, ये देते ड्रगवालों को पनाह
रगड़ो इनको ढंग से, कर दो अंदर आज
कर दो अंदर आज, सहज ये छूट न जायें
सोने का अंडा भी दें और बच भी ना पायें
बच ना पायें, ध्यान बड़ी मछली से हटाया
मुर्गों को दिन रात बाईस्कोप पर लडवाया
लडवाया दिन रात, बड़े अपराधी छूटे
मालदार मछली को सब कोई मिलकर लूटे
मिलकर लूटे, महज भाग्य से मिले किसी को बेल
वरना जारी रहता नशे के आय पी एल का खेल
छवि सौजन्य: पिक्साबे