(हसरत जयपुरी से क्षमायातना सहित)
आंसु गॅस भरी हैं किसानों की राहें
कोई उन से कह दें के दिल्ली ना जायें
आंसु गॅस भरी हैं ....
कीलें बिछा दें सड़क तोड़ दें वो
गाड़ी से अपनी हमें रोंद दें वो
उन्हें हठ मुबारक हमें अपनी मांगे
कोई उन से कह दें के दिल्ली ना जायें
आंसु गॅस भरी हैं ....
किसानों की बरबादी की दास्तां है
सेठों के लेकिन बड़े आशनाँ हैं
नेता से ऐसे, क्यूं हम दिल लगाएं
कोई उन से कह दें के दिल्ली ना जायें
आंसु गॅस भरी हैं ....
छवि सौजन्य: अल जज़ीरा